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लेखनी कहानी -03-Oct-2022 यादों के आईने से

आज अपनी पुरानी डायरी लेकर बैठ गया था । कभी कभी जब भी ये दिल उदास होता है तो मैं अपनी डायरी लेकर बैठ जाता हूं । इसमें किसी के प्यार की महक बसी हुई है । बस, वह महक ही मुझे एकदम से तरो ताजा कर देती है । यही सोचकर मैंने डायरी के पन्ने पलटने शुरु कर दिये । 

अचानक हवा का एक तेज झोंका आया और उसने एक झटके में न जाने कितने पन्ने पलट दिये । जो पन्ना मेरे सामने था उसमें किसी का मासूम सा चेहरा झलक रहा था । उसकी वो मीठी नजर आज भी मेरी आंखों में बसी हुई है । और वो मुस्कान ! उसका तो मैं दीवाना हूं । शायद यही वो मुस्कान थी जिसने मुझे अपना बना लिया था । नहीं नहीं , शायद मासूमियत थी उसकी । नहीं , नजरों की कशिश थी शायद । पता नहीं कैसा जादू था उसकी शख्सियत में कि मैं मेरा नहीं रहा, उसका हो गया । 

जरा देखें तो सही कि उस पन्ने पर क्या लिखा है । 

सुनो
कहो 
क्या कहें , मुंह तो उधर कर रखा है । दीवारों से कहें क्या ? 
अच्छा बाबा, इधर कर लिया । अब तो कहो 
एक बात पूछें , सच सच बताओगे ? 
क्या कभी झूठ बोला है ? 
आप हर बात का जवाब घुमा फिरा कर क्यों देते हैं ? सीधे सीधे क्यों नहीं कहते ? 
सीधे सीधे ही तो कह रहा हूं । हां बोलो । 
पहले कहो कि सच सच बोलोगे । 
हां मेरी जान । सच सच ही कहूंगा । कहो तो स्टाम्प पेपर पर लिख दूं ? 
हां, आप तो स्टाम्प पेपर से नीचे उतरते ही नहीं हो ना । वकील जो ठहरे । ना बाबा ना । आप तो वैसे ही कह दो, हम मान लेंगे 
अच्छा , तो कह दिया । अब पूछो 
ऊं... आप हमें प्यार तो करते हैं ना ? 
ये कैसा सवाल है ? 
सीधा सच्चा सवाल है । कोई मुश्किल आ रही है जवाब देने में ? 
नहीं , मेरा मतलब है कि बहुत बचकाना सवाल है । दो साल हो गये इश्क के दरिया में बहते बहते हम दोनों को । और तुम ये पूछ रही हो कि हम तुम्हें प्यार करते हैं कि नहीं ? 
तो इतना बिगड़ क्यों रहे हो ? साफ साफ कह दो कि नहीं करते है । हां, आये बड़े । 
कितनी बार कह चुका हूं कि करता हूं करता हूं करता हूं । अबकी बार स्टाम्प पेपर पर लिखकर दे दूंगा । अब बस ? 
तो इसमें इतना झल्लाने की क्या बात है ? हमने कब मांगा स्टाम्प पेपर ? आप ही बार बार स्टाम्प पेपर की बात करते हैं । हमसे प्यार नहीं करते हो तो साफ साफ बोल दो । हम भी आगे से नहीं पूछेंगे , हां । आए बड़े । 
तुम तो छोटी छोटी बात पर बिगड़ जाती हो । वैसे एक बात कहें ? 
सारी बात कह दो , पर ये नहीं कह सकते कि सीमा, हम तुम्हें बहुत प्यार करते हैं । 
अरे यार , तुम तो उलझाकर रख देती हो । पर एक बात है कि तुम गुस्से में बहुत हसीं लगती हो । बिल्कुल गर्म गर्म गुलाब जामुन की तरह । जी करता है कि एक बार में ही खा जाएं । 
सच ! तो खा जाओ ना । हम भी तो यही चाहते हैं । कभी कभी मन करता है कि .... 
क्या चाहता है मन ? 
ऊं ... । नहीं बताएंगे 
क्यों ? 
अरे बाबा शर्म आती है । हम आपकी तरह मुँहफट थोड़ी हैं जो कुछ भी बोल दें । लड़कियों को ऐसी बात कहते हुए शर्म आती है ।
कैसी बात ? 
वही तो नहीं बता सकते ना । आप समझ जाइए, बस । 
अरे, ऐसे कैसे समझ जायें ? हम कोई अंतर्यामी हैं क्या ? 
आप तो हमारे दिल का सारा हाल जानते हैं । फिर भी ? 
अच्छा , मेरी गोदी में सिर रखकर सोने का मन है ? 
देखा ! हमने कहा था न कि आप हमारे मन को पढ सकते हैं । सच में बहुत मन कर रहा है । और हां , आप बहुत अच्छे हैं । बिल्कुल सच्चे , भोले , निर्मल । हम आपसे बहुत प्यार करते हैं । इतना कि बता नहीं सकते । 
मैंने पूछा भी नहीं । मुझे पता था कि वह मुझे कितना प्यार करती थी । 

और वो मेरी गोदी में सिर रखकर सो गई थी । शायद सपनों की दुनिया में खो गई थी । एक सपने ही तो बस अपने हैं । बाकी तो अपना कुछ भी नहीं है , ये शरीर भी नहीं । 
उसके मुख पर कैसी शांति थी जैसे कि वह स्वर्ग में सैर कर रही हो । 
काश ! ऐसा होता । 

वो अंतिम मुलाकात थी । उसके बाद वह फिर कभी नहीं मिली । पता नहीं क्या हुआ ? कहां गयी वह ? एक बार भी संपर्क नहीं किया उसने । शायद मेरे ही प्यार में कुछ कमी रह गई होगी वरना कुछ तो बताती वह । 
मगर, वह जहां भी हो, खुश रहे बस , यही प्रार्थना है ईश्वर से । 

यह पन्ना शायद मेरी डायरी का सबसे हसीं पन्ना है । 

श्री हरि 
3.10.22 


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7 Comments

Gunjan Kamal

07-Oct-2022 08:38 AM

👏👌🙏🏻

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Kaushalya Rani

05-Oct-2022 09:38 PM

Beautiful

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Barsha🖤👑

05-Oct-2022 09:08 PM

Beautiful

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